Sri Ganesh |
GANESH CHATURTHI 2020 *गणेश चतुर्थी आरम्भ 22 अगस्त 2020. शुभ मुहूर्त :-11:11 A. M. से 01:39 P. M. तक रहेगा*
*मूर्ति विसर्जन:- सितंबर 1, 2020 को 9:38 a.m. बजे*
मुंबई के लालबाग के राजा बहुत प्रसिद्ध है। बॉलीवुड के सितारे यहां आकर भगवान गणपति बप्पा का दर्शन करते हैं।यहां की प्रतिमा सभी गणेश मूर्तियों में सबसे लंबी होती है।
गणेेश चतुर्थी ,संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा :- एक दिन माता पार्वती और भगवान शिव आकाश में विचरण कर रहे थे। माता पार्वती को चौसर खेलने की इच्छा हुई। माता पार्वती और भगवान शिव एक नदी किनारे चौसर खेलनेे के लिए बैठे। परंतु वहां कोई तीसरा नहीं था जो खेल केेेेेेेे हार जीत का फैसला करें। तब भगवान शिव एक मिट्टी के पुतले में जान फूंक कर निर्णायक की भूमिका दिए। माता पार्वती और भगवान शिव चौसर खेलना शुरू किए, लगातार तीन बार माता पार्वती भगवान शिव से जीत गई और भगवान शिव हारे गये। जब माता पार्वती बालक से पूछी कौन जीता?तो बालक नेे कहा भगवान शिव जीत गए और आप हार गई । इस बात पर माता पार्वती क्रोधित हो उस लड़केे को श्राप दे दी। श्राप केेेेे वजह से लड़का लंगड़ा बन गयाा।
लड़का माता पार्वती से क्षमा मांगा और श्राप से मुक्ति पाने का उपाय पूछा। माता पार्वती ने उसे संकष्टी गणेश चतुर्थी करने को कहाा। लड़के ने माता के कहे अनुसार संकष्टि गणेश चतुर्थीी का व्रत रखा और विधि के अनुसार गणेश चतुर्थी का पूजा किया। संकट मोचन श्री गणेश ने श्राप से मुक्त कर दिये।
गणपति शब्द का अर्थ...
गणपति बप्पा |
लड़का माता पार्वती से क्षमा मांगा और श्राप से मुक्ति पाने का उपाय पूछा। माता पार्वती ने उसे संकष्टी गणेश चतुर्थी करने को कहाा। लड़के ने माता के कहे अनुसार संकष्टि गणेश चतुर्थीी का व्रत रखा और विधि के अनुसार गणेश चतुर्थी का पूजा किया। संकट मोचन श्री गणेश ने श्राप से मुक्त कर दिये।
पूराणनुसार, गणेश पुराण के मत से भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश अवतरण तिथि बताया गया है। वहीं दूसरी तरफ शिव पुराण के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मंगल मूर्ति गणेश की अवतरण तिथि बताया गया है। गण+पति=गणपति, संस्कृत के अनुसार गण अर्थात पवित्रक। पति अर्थात स्वामी, गणपति अर्थात पवित्रको का स्वामी।
गणपति को प्रथम पुज्य क्यों कहा जाता है?
एक बार समस्त देवताओं में इस बात पर विवाद हो रही थी कि धरती पर किस देवता का सबसे पहले पूजा किया जाएगा? सभी देवता अपने अपने अपने आपको सर्वश्रेष्ठ बताने लगे हैं। तभी वहां नारद मुनि आए, सभी देवताओं ने नारद मुनि से इसका उपाय पूछा, नारद मुनि भगवान शिव की शरण में जाने का सलाह देते हैं।
जब सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे तो उनके मध्य इस झगड़े को देखते हुए भगवान शिव ने इसे सुलझाने की एक योजना सूची। उन्होंने प्रतियोगिता आयोजित की, सभी देवताओं से कहा कि जो सबसे पहले पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर मेरे पास आएगा उसी को धरती पर प्रथम पूज्य माना जाएगा। इस प्रतियोगिता में गणपति बप्पा भी सम्मिलित हुए थे।सभी देवता अपने वाहन पर बैठकर पूरे ब्रम्हांड के चक्कर करने के लिए निकल पड़े।परंतु गणपति जी अपने स्वारी छोटे मूषक पर बैठकर अपने पिता यानी महादेव और पार्वती के सात चक्कर लगाये और हाथ जोड़कर खड़े हो गए। तब पार्वती जी मुस्कुराते हुए उनसे पूछी गणपति तुम पूरे ब्रह्मांड का चक्कर क्यों नहीं लगाये। तुम मेरे और महादेव के चक्कर क्यों लगाए? गणपति जी बोले माता-पिता में ही पूरा ब्रह्मांड समाया हुआ है।
सभी देवताओं ने पूरे ब्राह्मांड के चक्कर लगाकर वापस आ गए। उन्होंने देखा कि गणेश तो यहां पर आगे से ही उपस्थित है।तो उन्हें लगा कि गणेश ब्रह्मांड चक्कर लगाने नहीं गए। उन्होंने महादेव से पूछा कि कौन जीता महादेव? महादेव ने मुस्कुराते हुए बोले कि गणेश जीते क्योंकि गणेश ने सबसे पहले पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगा लिया है। सभी ने बोला नहीं उन्होंने नहीं लगाये हे। तभी गणेश बोले में अपने माता-पिता का चक्कर लगाया हूं जो ब्रह्मांड का सामान है। सभी देवता आच्मभित से महादेव की ओर देखने लगे। महादेव बोले कि मां-बाप को शास्त्रों में सबसे ऊंचा दर्जा दिया गया है। मां-बाप में ही पूरा ब्रह्मांड बच्चे का निहित है। इसीलिए गणपति जीत गए अब यही बनेंगे प्रथम पूज्य। सभी देवताओं ने राजी हो गए।
गणपति बहुत सारे नामों से जाने जाते हैं जैसे-- बाल गणपति,भालचंद्र, बुद्धि नाथ, एकादंता, गजानन, गणपति, गौरीपूत, लंबोदर, महाबलेश्वर, परमेश्वर, सिद्धीदाता, सिद्धिविनायक, सुरेश, अमित, भूपति, चतुर्भुज, विनायक, गजानन, सिद्धिपत्ती इत्यादि और बहुत सारे नाम है।
गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) :
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजेधारी,
मास्तक सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी। अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
मास्तक सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी। अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डूवन का भोग लगे संत करें सेवा।। दीनन की लाज राखो शंभु सूतकारी। कामनाव को पूरी करो जग बलिहारी
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
**गणपति जी की पूजन विधि:-
सबसे पहले ब्रतधारी लाल कपड़ा पहने। फिर आप श्री गणेश जी के स्नान कराएं। पहले जल से उस के बाद चरणामृत (दूध, दही, घी,शहद) और पुनः शुद्ध जल से स्नान कराएं।आप गणेश जी को बस्त्र चढ़ाया, अगर बस्त्र नहीं है। तो आप उन्हें एक नाड़ा भी अर्पित कर सकते हैं। गणेश पूजन के दौरान धूप दीप आदि से श्री गणेश आराधना करें श्री गणेश की पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर रखें। श्री गणेश को तील से बनी वस्तुएं लड्डू तथा मौदक का भी भोग लगाएं। ओम सिद्ध बुद्धि सहित महागणपति आपको नमस्कार है। नैवेद्य के रूप में मोदक और ऋतु फल आदि अर्पित है। चतुर्थी के दिन व उपवास रख चंद्र दर्शन करके पूजन गणेश पूजन करें। सायं काल में बर्थ धारी संकष्टि गणेश चतुर्थी की कथा पढ़े और कथा सुनने और सुनाएं। तत्पश्चात गणेश जी की आरती करें। विधिवत तरीके से पूजा करने के बाद, गणेश मंत्र ओम गणेशाय नमः अथवा ओम गण गणपतए नमः की 1 माला यानी (108 बार गणेश मंत्र का) जाप अवश्य करें। इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को दान करें।
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https://rksstory.blogspot.com/2020/06/raksha-bandhan.html( रक्षाबंधन क्यों और कैसे मनाई जाती है)
फादर्स डे पर कहानी:-http://rksstory.blogspot.com/2020/06/happy-fathers-day.html
I hope you like it. My story GANESH CHATURTHI 2020.
श्री गणेश |
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Very nice
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