Rakshabandhan |
1. कृष्णा और द्रोपदी
कहा जाता है कि एक दिन एक सभा मे श्रीकृष्ण का उंगली कट कर थोड़ा खून बह गया था। तब द्रोपदी ने अपने सारी के आंचल से फाड़ कर उनका उंगली बांधा था। ऐसा माना जाता है कि उस दिन सावन पूर्णिमा था। उसी वक्त कृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि समय आने पर एक एक धागे का मोल चुकाएंगे। बहुत समय बीत जाने के बाद एक दिन द्रोपदी के पति(पांचो पांडव) चौसर के खेल में पांडवों ने कौरवों से अपने धन संपत्ति के साथ अपनी पत्नी को भी हार गए। तब भरी सभा में कौरवों ने द्रोपदी चिर हरण करने लगा। श्री कृष्ण ने अपने वादे के अनुसार अपनी बहन की लाज बचाई, रक्षाबंधन के धर्म निभाई।
2. हुमायूं ने रखी करनावती केे राखी का लाज- |
Raja humayun |
मध्यकाल में रानी कर्णावती चित्तौड़ के राजा की विधवा थी। रानी कर्णावती को बहादुर शाह द्वारा मेवाड़ पर आक्रमण करने की खबर मिली तो वह घबरा गई।क्योंकि वह बहादुर शाह से प्रजा की सुरक्षा करने में असमर्थ थी। इसीलिए उन्होंने हुमायूं को एक पत्र और राखी भेजी।हुमायूं उस समय बंगाल पर चढ़ाई करने जा रहे थे। तभी उन्हें करनावती की पत्र और राखी मिली। तो उन्होंने राखी की लाज रखते हुए अपना अभियान बीच में छोड़कर मेवाड़ पहुंच गए और बहादुर शाह के खिलाफ युद्ध लड़ा।
राजा बलि एक बहुत प्रतापी और दानी राजा थे। एक बार उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया। भगवान विष्णु राजा बलि के परीक्षा के लिए वामनावतार लेकर आ गए राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी।राजा बलि तैयार हो गए, वामनावतार ने एक पग मे में पूरी पृथ्वी और दूसरे पग में पूरे आकाश नाप लिया। इससे राजा बली समझ गए कि विष्णु उनकी परीक्षा ले रहे हैं।वामनावतार श्री विष्णु ने पूछा अब मैं तीसरा पग कहां रखूं? तब बली ने कहा कि मेरा सब कुछ चला गया है।आप तीसरा पग मेरे सर पर रख दीजिए। भगवान विष्णु ऐ सब देख प्रसन्न होकर बोले हे बत्स तुम्हें क्या चाहिए तोम मांगो।बाली ने कहा हे प्रभु आप मेरे साथ पताल लॉक रहने चलीय। विष्णु भगवान बैकुंठ छौड़ पाताल लोक में रहने लगे। इधर महादेवी लक्ष्मी बहुत परेशान रहने लगी। कुछ दिन बीतने के बाद वह एक असहाय महिला बन वह राजा बलि के पास पहुंचती हैं और उन्हें एक रक्षा सूत्र बांधती है।बलि पूछते हैं कि है बहन मेरे पास तो अब देने के लिए कुछ नहीं है। मैं तुम्हें क्या दूं?तब मां लक्ष्मी अपने स्वरूप में आ जाती हैं और बोलती आपके पास साक्षात भगवान है। आप विष्णु भगवान को मुझे लौटा दीजिए। बलि ने रक्षा सूत्र का धर्म निभाते हुए भगवान विष्णु को उन्हें सौंप देते हैं।
राखी कैसे बनाया जाता है
1. आप कुछ रंग बिरंगे दो उन ले लीजिए, आप अपने चारों उंगलियों में उसे लपेट लिजीय, कूछ इस प्रकार
2. उसे अंगुली से निकाल कर उसे बीच में बांध लीजिए
3. उसकेेेे बाद कैचीी से अरिया(side से) उन को काट लीजिए
4.उसकेेेेेेे बाद आप थोड़ा गम, मूटा कागज या कूट का टुकड़ा, और रीबन ले लिजीय।निचे दिय गये चित्र के अनुसार उसे चिपका दिजीए-
5.आपकी राखीी तैैैयार हो गई। आप चााहे तो उसके ऊपर, मोती या सिितारा लगा सकते हैं।
रक्षाबंधन का त्यौहार कैसे मनाए
Rakhi |
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रक्षाबंधन भाई बहनों का अटूट प्रेम को दरसता है।बहन एक थाल मे एक दिया, तिलक करने के लिए चंदन, अक्षत, राखी और मिठाई रखती है।भाई को सबसे पहले वह तिलक लगाते हैं। उसके बाद माथे पर अक्षत छिटती है और आरती करती हैं।फिर कलाई में राखी बांधती है, और मिठाई खिला देती है।उसके बाद भाई उसे उपहार देते हैं।
*बहन जब भाई के कलाइ में राखी बांधती, तब गाति है*
राखी के बंधन भईया, भूल ही न जईह
बहिना से तू दील न चूरयिह
राखी बांधाल भईया, सावन आवे
जिय तू य लाखों बरीश
ओ मेरे भईया...
तब भाई बहन से बोलता है
सोने के गेहना,
तू पहन ले बहना।
भाई की कलाई में
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