एक समय की बात है, एक गांव में एक हस्पताल था। वहां एक डॉक्टर रहा करती थी। वह मरीजों को देख भाल कीया करती थी। गांववासी उन्हें डाक्टर दीदी कहा करते थे।
एक मरीज को दवा देकर अपनी घर लोटने मे काफी देर हो चुकी थी, रास्ते सूनसान हो चूके थे, कुछ दूर एक पैर के नीचे से कीसी महिला की रोने का स्वर सूनाई दी, डॉक्टर दीदी उस और बढीं। डॉक्टर दीदी उस औरत के पास गई और पूछने ही वाली थी की औरत चूडेल बन गई पलक झपकते ही डॉक्टर दीदी के अन्दर समा गई। उन्हें कूछ समझ नहीं आया। डॉक्टर दीदी घर लौट गई। रात के जैसे ही दो बजे वह चूड़ेल बन गईं और और खून की प्यासी हो गई ओर अपने घर की बील्ली को हत्या कर उसकी खून पी गई। जब सूबह होआ तो ठीक हो गई। हर रात दो बजे वह चूड़ेल हो जाती और सूबह में ठीक हो जाती। इसलिए वह अपने आप को रात में जंजीर से बादं लिया करती क्योंकि वह किसी को नोकसान नही करना चाहती।
एकदिन हस्पताल में मरीज ज्यादा होने के कारण उन्हें हस्पताल में रुकना पड़ा वह डर रही थी रात में किसी को हानि ना पहूंचा दे। इसलिए रात में अपने आपको एक रूम में बदं कर ली। रात के दो जैसे ही बजे वह चूड़ेल बन गई और दरवाजा ठूकने लगी। मरीज डर डर कर दरवाजा खोल दिये। डॉक्टर दीदी के रूप को देख कर अचम्भा हो गये और भागने लगे। सारे मरीज भाग कर एक रूम में बंद हो गए परन्तु एक मरीज बाहर ही रह गया। चूड़ेल वहां आई और बोली मै बहुत दिनों से भूखी हूँ मुझे यह डाक्टर दीदी जंजीरों से बादं देती, खाने को नही मिलता परन्तु आज बूहत खुश हूँ। आज खाने को इंसान मिले हैं, चूड़ेल उस आदमी के पास जैसे ही जाती उसके गले में परे ताबीज देख डर जाती है और उस से थोड़ा दूर जा खड़ी होती हैं। आदमी को कुछ समझ नहीं आता है तब उस आदमी का नजर अपने ताबीज पर जा परता है। आदमी को समझ आ गया चूड़ेल उसके ताबीज से डर रही है। आदमी ने उस ताबीज को नीकाल कर अपने हाथ में ले लिया, चूड़ेल के ओर बढ़ने लगा चूड़ेल बोल रही मेरे नजदीक मत आ। पर आदमी ने हिम्मत कर अपनी ताबीज को चूड़ेल के गले में डाल दिया। डॉक्टर दीदी के अदंर से चूड़ेल निकल कर भाग गई। डॉक्टर दीदी अच्छी हो गईं, उस आदमी को धन्यवाद की।
फादर्स डे पर कहानी:-
एक मरीज को दवा देकर अपनी घर लोटने मे काफी देर हो चुकी थी, रास्ते सूनसान हो चूके थे, कुछ दूर एक पैर के नीचे से कीसी महिला की रोने का स्वर सूनाई दी, डॉक्टर दीदी उस और बढीं। डॉक्टर दीदी उस औरत के पास गई और पूछने ही वाली थी की औरत चूडेल बन गई पलक झपकते ही डॉक्टर दीदी के अन्दर समा गई। उन्हें कूछ समझ नहीं आया। डॉक्टर दीदी घर लौट गई। रात के जैसे ही दो बजे वह चूड़ेल बन गईं और और खून की प्यासी हो गई ओर अपने घर की बील्ली को हत्या कर उसकी खून पी गई। जब सूबह होआ तो ठीक हो गई। हर रात दो बजे वह चूड़ेल हो जाती और सूबह में ठीक हो जाती। इसलिए वह अपने आप को रात में जंजीर से बादं लिया करती क्योंकि वह किसी को नोकसान नही करना चाहती।
एकदिन हस्पताल में मरीज ज्यादा होने के कारण उन्हें हस्पताल में रुकना पड़ा वह डर रही थी रात में किसी को हानि ना पहूंचा दे। इसलिए रात में अपने आपको एक रूम में बदं कर ली। रात के दो जैसे ही बजे वह चूड़ेल बन गई और दरवाजा ठूकने लगी। मरीज डर डर कर दरवाजा खोल दिये। डॉक्टर दीदी के रूप को देख कर अचम्भा हो गये और भागने लगे। सारे मरीज भाग कर एक रूम में बंद हो गए परन्तु एक मरीज बाहर ही रह गया। चूड़ेल वहां आई और बोली मै बहुत दिनों से भूखी हूँ मुझे यह डाक्टर दीदी जंजीरों से बादं देती, खाने को नही मिलता परन्तु आज बूहत खुश हूँ। आज खाने को इंसान मिले हैं, चूड़ेल उस आदमी के पास जैसे ही जाती उसके गले में परे ताबीज देख डर जाती है और उस से थोड़ा दूर जा खड़ी होती हैं। आदमी को कुछ समझ नहीं आता है तब उस आदमी का नजर अपने ताबीज पर जा परता है। आदमी को समझ आ गया चूड़ेल उसके ताबीज से डर रही है। आदमी ने उस ताबीज को नीकाल कर अपने हाथ में ले लिया, चूड़ेल के ओर बढ़ने लगा चूड़ेल बोल रही मेरे नजदीक मत आ। पर आदमी ने हिम्मत कर अपनी ताबीज को चूड़ेल के गले में डाल दिया। डॉक्टर दीदी के अदंर से चूड़ेल निकल कर भाग गई। डॉक्टर दीदी अच्छी हो गईं, उस आदमी को धन्यवाद की।
Horror hospital |
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