JANMASHTAMI |
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KRISHNA -JANMASHTAMI-2020
जन्माष्टमी के आगमन से पहले ही उसकी तैयारी जोर-शोर से आरम्भ हो जाती है, पूरे भारतवर्ष में इस त्यौहार का उत्साह देखने योग्य होता है। जन्माष्टमी के विभिन्न रंगों के त्यौहार विभिन्न रूपों में मनाया जाता है।कही रंगो की होली होती है तो कहीं फूलों का और इत्र की सुगंध का उत्सव होता है तो कहीं दही हांडी फोड़ने का जोश और कहीं इस मौके पर भगवान कृष्ण के जीवन के मोहक छवि को देखने को मिलती है। मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है भक्त इस अवसर पे मंदिरों में झांकियां सजाते है। भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है तथा कृष्ण रासलीला का आयोजन किया जाता है।
दही हांडी |
द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज्य करते थे। उनका जेष्ठ पुत्र कंस बरा ही जालिम क्रूर आदमी था परंतु अपने बहन से बहुत प्यार करता था। अपनी बहन देवकी के विवाह यदुवंशी के सरदार बासुदेव नामक युद्धा से किया था।। कंस अपनी बहन देवकी की विदाई कर रहा था तभी आकाशवाणी होती है, ऐ कंस तेरी बहन देवकी की आठवीं पुत्र तेरी काल बनेगी। तभी कंस भयभीत हो जाता है और वासुदेव को मारना चाहता है। देवकी अपने पति के प्राण की भीक्षा अपने भाई से मांगती है और उसे बोलती है कि मैं अपने सारे संतान तुम्हें दे दूंगी। कंस अपनी बहन के बात मान लेता है और उन्हें कारावास में बंद कर देता है।
उसे मालूम था कि अगर उसके पिता को मालूम चल जाए तो उसे दंडित करंगे इसीलिए उसने अपने पिता को सिंहासन से उतारकर खुद सिंहासन पर बैठ गया। कुछ समय के बाद देवकी गर्भवती होती है और नौ महीने के बाद एक बच्चे को जन्म दिया। जब कंस को मालूम हुआ तो वह देवकी के पास आया और बोला तुम अपने संतान को मुझे दे दो फिर देवकी ने अपने वादे के अनुसार वह अपनी संतान को कंस को सौंप देती है। कंस वह नवजात शिशु को जमीन पर पटक निर्दयता से हत्या कर दिया। ऐसे ही अपनी बहन देवकी की 6 व संतान को मार देता है। जब देवकी के सातवें संतान गर्भ में थे तब योग माया ने आकर्षित करके रोहिणी, जो बासुदेव की पहली पत्नी थी उन्ही के गर्भ में उसे डाल दिया था। उनकी सातवें संतान का नाम बलराम था।रानी देवकी ने फिर से गर्भवती होती है और आठवीं संतान को जन्म देगी जो कंस का काल बनेगा।जब देवकी आठवें पुत्र को जन्म देती है तब विष्णु भगवान कारावास में प्रकट होते हैं और बासुदेव से कहते हैं कि मेरा ही एक रूप है जो तुम्हारे बच्चे के रूप मे आया है। इस बालक को ले जाकर अपने दोस्त नंद के यहां छोर आव जिस से तूम्हारा बालक सुरक्षित रहेगा और वहां से उनकी पुत्री माया को लेकर यहां पर आ जाव।
विष्णु भगवान का आदेश मान वह अपने बालक को गोद में उठाते हैं तभी उनके पैर की जंजीरे खुल जाती हैं कारावास के दरवाजे खुलते हैं और उस सारे सैनिको बेहोश हो जाते हैं तभी वह अपने बालक को लेकर वह राजमहल से निकलकर यमुना के तट पर पहुंचते हैं यमुना पूरी भर्ती रहती है और बादल गरज रहे होते हैं और बारिश हो रही होती है वह अपने बालक को लेकर यमुना के नदी में जैसे ही पैर रखते हैं उसमें से यमुना देवी निकलकर उस बालक को को प्रणाम करती है और उन्हें जाने के लिए वह मार्ग दे देती है। वह अपने दोस्त नंद के यहां जाते हैं वहां नंद और उनकी पत्नी सोई रहती है, वह अपने बच्चे को वहां छोर उनकी पुत्री माया को ले आते हैं। जब बासुदेव माया को लेकर कारावास में प्रवेश कर जाते हैं तभी सब सैनिकों का मूर्छित अवस्था दूर हो जाता है और वह जाकर कंस से कहते हैं कि देवकी की आठवीं संतान हो चुकी हैं कंस अपने बहन के पास आता है और उनसे वह संतान को लेकर जैसे ही जमीन पर पटकने वाला रहता है तभी वह माया आकाश में उड़ जाती है और बोलती है मूर्ख कंस तेरा काल जन्म ले चुका और वह बहुत सुरक्षित जगह पर बढ़ रहा है और जब भी तुम्हारा समय पूरा हो जाएगा तब वह तुम्हारा वध कर देगा। यह कह कन्या आलोपित्त हो जाती है। कंस बड़ा ही भयभीत हो जाता है और वह बच्चे को ढूंढने के लिए सारे जगह पर आपना गुप्त चर भेज देता है उसे मालूम चलता है कि गोकुल में बासुदेव के दोस्त नंद यहां बच्चा जन्म लिया है।उसे मारने के लिए वह बूहत सारे असुर को भेजता है और सारे असूर परास्त होकर आ जाते हैं।
नंद और यशोदा के यहां नटखट कृष्ण बड़े होते हैं।कंस के अत्याचार देखे नंद और यशोदा अपने बच्चे को सुरक्षित करने के लिए वृंदावन चले गए। वृंदावन में वह अपने गोपियों के साथ रास रचाते हैं और बहुत सारे औसुरी ताकत से वृंदावन बन बासीयो को बच्चाते रहते।वृंदावन में कालिया और धनुक का सामना करने के कारण दोनों भाइयों के ख्याति के चलते कंस समझ गया था कि भविष्यवाणी अनुसार इतने बलशाली किशोर तो वासुदेव और देवकी के पुत्र ही हो सकते हैं। तब कंस ने दोनों भाइयों का पहलवानी के लिए निमंत्रण दिया, क्योंकि कंस चाहता था कि इन्हें पहलवानों के हाथ मरवा दिया जाए, लेकिन दोनों भाइयों ने पहलवानों को शिरोमणि चाणूर और मुष्टिक मारकर कंस को पकड़ लिया और सबके देखते ही देखते उसे भी मार दिया और अपने माता-पिता और नाना जी को कारावास में मुक्त कर दीये। मथुरा वासी को कंस के अत्याचारों से मुक्त मिल गई । इसीलिए श्री कृष्ण के जन्म के दिन सारे लोग जन्माष्टमी मनाते हैं।
गणेश चतुर्थी की कहानी:-http://rksstory.blogspot.com/2020/06/ganesh-chaturthi.html
फादर्स डे पर कहानी:-
http://rksstory.blogspot.com/2020/06/happy-fathers-day.html
उसे मालूम था कि अगर उसके पिता को मालूम चल जाए तो उसे दंडित करंगे इसीलिए उसने अपने पिता को सिंहासन से उतारकर खुद सिंहासन पर बैठ गया। कुछ समय के बाद देवकी गर्भवती होती है और नौ महीने के बाद एक बच्चे को जन्म दिया। जब कंस को मालूम हुआ तो वह देवकी के पास आया और बोला तुम अपने संतान को मुझे दे दो फिर देवकी ने अपने वादे के अनुसार वह अपनी संतान को कंस को सौंप देती है। कंस वह नवजात शिशु को जमीन पर पटक निर्दयता से हत्या कर दिया। ऐसे ही अपनी बहन देवकी की 6 व संतान को मार देता है। जब देवकी के सातवें संतान गर्भ में थे तब योग माया ने आकर्षित करके रोहिणी, जो बासुदेव की पहली पत्नी थी उन्ही के गर्भ में उसे डाल दिया था। उनकी सातवें संतान का नाम बलराम था।रानी देवकी ने फिर से गर्भवती होती है और आठवीं संतान को जन्म देगी जो कंस का काल बनेगा।जब देवकी आठवें पुत्र को जन्म देती है तब विष्णु भगवान कारावास में प्रकट होते हैं और बासुदेव से कहते हैं कि मेरा ही एक रूप है जो तुम्हारे बच्चे के रूप मे आया है। इस बालक को ले जाकर अपने दोस्त नंद के यहां छोर आव जिस से तूम्हारा बालक सुरक्षित रहेगा और वहां से उनकी पुत्री माया को लेकर यहां पर आ जाव।
विष्णु भगवान का आदेश मान वह अपने बालक को गोद में उठाते हैं तभी उनके पैर की जंजीरे खुल जाती हैं कारावास के दरवाजे खुलते हैं और उस सारे सैनिको बेहोश हो जाते हैं तभी वह अपने बालक को लेकर वह राजमहल से निकलकर यमुना के तट पर पहुंचते हैं यमुना पूरी भर्ती रहती है और बादल गरज रहे होते हैं और बारिश हो रही होती है वह अपने बालक को लेकर यमुना के नदी में जैसे ही पैर रखते हैं उसमें से यमुना देवी निकलकर उस बालक को को प्रणाम करती है और उन्हें जाने के लिए वह मार्ग दे देती है। वह अपने दोस्त नंद के यहां जाते हैं वहां नंद और उनकी पत्नी सोई रहती है, वह अपने बच्चे को वहां छोर उनकी पुत्री माया को ले आते हैं। जब बासुदेव माया को लेकर कारावास में प्रवेश कर जाते हैं तभी सब सैनिकों का मूर्छित अवस्था दूर हो जाता है और वह जाकर कंस से कहते हैं कि देवकी की आठवीं संतान हो चुकी हैं कंस अपने बहन के पास आता है और उनसे वह संतान को लेकर जैसे ही जमीन पर पटकने वाला रहता है तभी वह माया आकाश में उड़ जाती है और बोलती है मूर्ख कंस तेरा काल जन्म ले चुका और वह बहुत सुरक्षित जगह पर बढ़ रहा है और जब भी तुम्हारा समय पूरा हो जाएगा तब वह तुम्हारा वध कर देगा। यह कह कन्या आलोपित्त हो जाती है। कंस बड़ा ही भयभीत हो जाता है और वह बच्चे को ढूंढने के लिए सारे जगह पर आपना गुप्त चर भेज देता है उसे मालूम चलता है कि गोकुल में बासुदेव के दोस्त नंद यहां बच्चा जन्म लिया है।उसे मारने के लिए वह बूहत सारे असुर को भेजता है और सारे असूर परास्त होकर आ जाते हैं।
नंद और यशोदा के यहां नटखट कृष्ण बड़े होते हैं।कंस के अत्याचार देखे नंद और यशोदा अपने बच्चे को सुरक्षित करने के लिए वृंदावन चले गए। वृंदावन में वह अपने गोपियों के साथ रास रचाते हैं और बहुत सारे औसुरी ताकत से वृंदावन बन बासीयो को बच्चाते रहते।वृंदावन में कालिया और धनुक का सामना करने के कारण दोनों भाइयों के ख्याति के चलते कंस समझ गया था कि भविष्यवाणी अनुसार इतने बलशाली किशोर तो वासुदेव और देवकी के पुत्र ही हो सकते हैं। तब कंस ने दोनों भाइयों का पहलवानी के लिए निमंत्रण दिया, क्योंकि कंस चाहता था कि इन्हें पहलवानों के हाथ मरवा दिया जाए, लेकिन दोनों भाइयों ने पहलवानों को शिरोमणि चाणूर और मुष्टिक मारकर कंस को पकड़ लिया और सबके देखते ही देखते उसे भी मार दिया और अपने माता-पिता और नाना जी को कारावास में मुक्त कर दीये। मथुरा वासी को कंस के अत्याचारों से मुक्त मिल गई । इसीलिए श्री कृष्ण के जन्म के दिन सारे लोग जन्माष्टमी मनाते हैं।
KRISHNA |
फादर्स डे पर कहानी:-
http://rksstory.blogspot.com/2020/06/happy-fathers-day.html
Superb story
जवाब देंहटाएंNice
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