रविवार, 31 मई 2020

RATHYATRA-PURI-2020- रथ-यात्रा

RATHYATRA-PURI-2020- रथ-यात्रा
Jagannath-Puri
  RATHYATRA-PURI-2020-रथ यात्रा का पर्व भारत के प्रमुख पर्वों में से एक है और देश भर में इसे काफी श्रद्धा तथा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।इस साल यानी 2020 का रथयात्रा 23 जून को है। इसका सबसे भव्य आयोजन उड़ीसा राज्य के जगन्नाथपुरी में देखने को मिलता है।Covid-19(Corona virus) की वजह से Supreme Court ने कई सारी सर्तो के साथ रथ यात्रा करने का परमिशन दििया है।
रथ यात्रा क्यों मनाई जाती है
 पौराणिक और ऐतहासिक मान्यताएं तथा कथाएं प्रचलित है। एक कहानी के अनुसार राजा इंद्रद्युम्न अपने परिवार सहित नीलांचल सागर (वर्तमान रथ यात्रा क्यों मनाई जाती है में उड़ीसा क्षेत्र) के पास रहते थे।

     एक बार राजा समुद्र के पास टहल रहे थे समुद्र में उन्हें एक बहुत बड़ा लकड़ी तैरती हुई दिखाई देती है। राजा ने उस लकड़ी को देखा तो तुरंत ही समुद्र से निकालने का आदेश दिया।राजा के आदेश पर लकड़ी को निकाल दिया गया और उस लकड़ी की सुंदरता को राजा देखते ही रह गए। उनका मन किया कि इस लकड़ी से जगदीश जी की मूर्ति बनायी जाय। वह इसपर सोच विचार ही कर रहे थे कि तभी वहां एक बूढ़े बढ़ई के रुप में देवों के शिल्पी विश्वकर्मा प्रकट हो गये और बोले, हे राजन मैं जगदीश जी का मूर्ति बनाऊंगा पर मेरा एक शर्त है। अगर आप मान ले तो मैं राजी हूं, राजा बोले ठीक है परंतु वह शर्त आपका क्या है? बूढ़े बढ़ई के वेश में प्रकट हुए भगवान विश्वकर्मा जी ने वह शर्त कहा मैं जबतक कमरे में मूर्ति बनाऊंगा तबतक मैं कमरे का दरवाजा बंद रखूंगा और मेरी इजाजत के बिना दरवाजा कोई खोले नहीं और मेरे पास कोई आ ना सके। राजा ने उनकी इस शर्त को मान लिया।वह बूढ़ा बढ़ई मूर्ति निर्माण कार्य में वही लगे जहां आज श्री जगन्नाथ जी का मंदिर है।
   बहुत दिन बीत गया अभी तक दरवाजा नहीं खोला था। राजा को चिंता होने लगी, उनको तो मालूम नही था कि वह बुड्ढा बढ़ई ही स्वंय विश्वकर्मा है। कई दिन बीत जाने के पश्चात महारानी को ऐसा लगा कि कही वह बूढ़ा बढ़ई अपने कमरे में कई दिनों तक भूखे रहने के कारण मर तो नही गया। अपनी इस शंका को महारानी ने राजा से भी बताया। राजा को भी अब ऐसे ही लगने लगा था कि वह बुड्ढा बढ़ई  बहुत दिन भूखे रहने के कारण मर गया होगा तब राजा ने दरवाजा खोलने के लिए निश्चित किया और जब राजा ने कमरे का दरवाजा खुलवाया तो वह बूढ़ा बढ़ी आलोपित हो गए और कमरे में नहीं मिले, लेकिन उनके द्वारा लकड़ी की अर्द्धनिर्मित श्री जगन्नाथ, सुभद्रा तथा बलराम की मूर्तिया वहां मौजूद मिली। यह देख राजा रानी बहुत दुखी हो गए उन्हें लगा कि उनकी गलती की वजह से यह मूर्ति पूरी नहीं बन सकी ,लेकिन उसी समय वहां आकाशवाणी हुई कि हे राजन ‘व्यर्थ दु:खी मत हो, हम इसी रूप में रहना चाहते हैं मूर्तियों को पवित्र कर स्थापित करवा दो।' राजा ने उनके आदेश पर अर्ध निर्मित मूर्ति को मंदिर में स्थापित करवा दिया और पूजा पाठ आरंभ की। आज भी वही अर्धनिर्मित मूर्तियां जगन्नाथपुरी मंदिर में विराजमान हैं। जिनकी सभी भक्त इतनी श्रद्धा से पूजा-अर्चना करते हैं और यही मूर्तियां रथ यात्रा में भी शामिल होती हैं।जगन्नाथ रथ यात्रा आरंभ होने की शुरुआत में पुराने राजाओं के वशंज पारंपरिक ढंग से सोने के हत्थे वाले झाड़ू से भगवान जगन्नाथ के रथ के सामने झाड़ु लगाते हैं और इसके बाद मंत्रोच्चार के साथ रथयात्रा शुरु होती है। 

      रथ यात्रा के शुरु होने के साथ ही कई सारे पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाये जाते हैं, इसकी ध्वनि के बीच सैकड़ो लोग मोटे-मोटे रस्सों से रथ को खींचते है। इसमें सबसे आगे बलभद्र (बलराम) जी का रथ होता है और इसके थोड़ी देर बाद सुभद्रा जी का रथ चलना शुरु होता है॥सबसे अंत में लोग जगन्नाथ जी के रथ को बड़े ही श्रद्धापूर्वक खींचते है॥रथ यात्रा को लेकर मान्यता है कि इस दिन रथ को खींचने में सहयोग से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।इसी कारण इस दिन भक्त भगवान बलभद्र, सुभद्रा जी और भगवान जगन्नाथ जी का रथ खींचने के लिए ललायित रहते हैं।। जगन्नाथ जी की यह रथ यात्रा गुंदेचा मंदिर पहुंचकर पूरी होती है।
        इस स्थान को भगवान की मौसी का घर माना जाता है। यदि सूर्यास्त तक कोई रथ गुंदेचा मंदिर नहीं पहुंच पाता है तो वह अगले दिन यात्रा पूरी करता है। इस जगह पर भगवान एक सप्ताह तक प्रवास करते हैं और यहीं उनकी पूजा-अर्चना भी की जाती है। आषाढ़ शुक्ल दशमी को भगवान जगन्नाथ जी की वापसी रथ यात्रा शुरु होती है। इस रथ यात्रा को बहुड़ा यात्रा कहते हैं।
      शाम से पूर्व ही तानो रथ जगन्नाथ मंदिर तक पहुंच जाते हैं। जहां एक दिन तक प्रतिमाएं भक्तों के दर्शन के लिए रथ में ही रखी जाती है। अगले दिन मंत्रोच्चारण के साथ देव प्रतिमाओं को पुनः मंदिर में स्थापित कर दिया जाता है और इसी के साथ रथ यात्रा का यह पूर्ण कार्यक्रम समाप्त हो जाता है। इस पर्व के दौरान देश भर के कई शहरों में भी मानाया जाता है।
RATHYATRA-PURI-2020- रथ-यात्रा
जगन्नाथ जी 
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सोमवार, 25 मई 2020

KRISHNA -JANMASHTAMI-2020

KRISHNA -JANMASHTAMI-2020
JANMASHTAMI
 KRISHNA -JANMASHTAMI-2020:-हम लोग जन्माष्टमी बड़े धूमधाम से मनाते हैं। लोग अपने घर में पूजा पाठ एवं उपासना करते हैं,और कृष्ण के जन्मोत्सव के ऊपर कहानियां सुनते हैं। वातावरण श्री कृष्ण के रंग में डूब जाता है। इस साल यानी 2020 में कृष्ण जन्माष्टमी 11 अगस्त मंगलवार को है। Covid 19(Corona virus) की वजह से बहुत सारे मुश्किलें आ रहे हैं। इसलिए  स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए जन्माष्टमी मनाएंगे।
 पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने पृथ्वी को पापियों से मुक्त करने हेतु कृष्ण के रूप में अवतार लिया था। क्या आप लोग जानते हैं जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है? क्योंकि भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्री कृष्ण का जन्म हुआ था,  इस दिन को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं।इसी तिथि में की घनघोर अंधेरी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वासुदेव की पत्नी देवी की गर्भ से भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया था।यह तिथि उसी शुभ मुहूर्त को याद दिलाता है।
Also read this:
https://rksstory.blogspot.com/2020/06/raksha-bandhan.html( रक्षाबंधन क्यों और कैसे मनाई जाती है)
KRISHNA -JANMASHTAMI-2020
जन्माष्टमी  के आगमन से पहले ही उसकी तैयारी जोर-शोर से आरम्भ हो जाती है, पूरे भारतवर्ष में इस त्यौहार का उत्साह देखने योग्य होता है। जन्माष्टमी के विभिन्न रंगों के त्यौहार विभिन्न रूपों में मनाया जाता है।कही रंगो की होली होती है तो कहीं फूलों का और इत्र की सुगंध का उत्सव होता है तो कहीं दही हांडी फोड़ने का जोश और कहीं इस मौके पर भगवान कृष्ण के जीवन के मोहक छवि को देखने को मिलती है। मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है भक्त इस अवसर पे मंदिरों में झांकियां सजाते है। भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है तथा कृष्ण रासलीला का आयोजन किया जाता है।
KRISHNA -Janmashtami-2020, दही हांडी
 दही हांडी
जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के जन्म संबंधित कथा सुनाती हूं जो इस प्रकार हैं--
        द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज्य करते थे। उनका जेष्ठ पुत्र कंस बरा ही जालिम क्रूर आदमी था परंतु अपने बहन से बहुत प्यार करता था। अपनी बहन देवकी के विवाह यदुवंशी के सरदार बासुदेव नामक युद्धा से किया था।। कंस अपनी बहन देवकी की विदाई कर रहा था तभी आकाशवाणी होती है, ऐ कंस तेरी बहन देवकी की आठवीं पुत्र तेरी काल बनेगी। तभी कंस भयभीत हो जाता है और वासुदेव को मारना चाहता है। देवकी अपने पति के प्राण की भीक्षा अपने भाई से मांगती है और उसे बोलती है कि मैं अपने सारे संतान तुम्हें दे दूंगी। कंस अपनी बहन के बात मान लेता है और उन्हें कारावास में बंद कर देता है।
         उसे मालूम था कि अगर उसके पिता को मालूम चल जाए तो उसे दंडित करंगे इसीलिए उसने अपने पिता को सिंहासन से उतारकर खुद  सिंहासन पर बैठ गया। कुछ समय के बाद देवकी गर्भवती होती है और नौ महीने के बाद एक बच्चे को जन्म दिया। जब कंस को मालूम हुआ तो वह देवकी के पास आया और बोला तुम अपने संतान को मुझे दे दो  फिर देवकी ने अपने वादे के अनुसार वह अपनी संतान को कंस को सौंप देती है। कंस वह नवजात शिशु को जमीन पर पटक निर्दयता से हत्या कर दिया। ऐसे ही अपनी बहन देवकी की 6 व संतान को मार देता है। जब देवकी के सातवें संतान गर्भ में थे तब योग माया ने आकर्षित करके रोहिणी, जो बासुदेव की पहली पत्नी थी उन्ही के गर्भ में उसे डाल दिया था। उनकी सातवें संतान का नाम बलराम था।रानी देवकी ने फिर से गर्भवती होती है और आठवीं संतान को जन्म देगी जो कंस का काल बनेगा।जब देवकी आठवें पुत्र को जन्म देती है तब विष्णु भगवान कारावास में प्रकट होते हैं और बासुदेव से कहते हैं कि मेरा ही एक रूप है जो तुम्हारे बच्चे के रूप मे आया है। इस बालक को ले जाकर अपने दोस्त नंद के यहां छोर आव जिस से तूम्हारा बालक सुरक्षित रहेगा और वहां से उनकी पुत्री माया को लेकर यहां पर आ जाव।
         विष्णु भगवान का आदेश मान वह अपने बालक को गोद में उठाते हैं तभी उनके पैर की जंजीरे खुल जाती हैं कारावास के दरवाजे खुलते हैं और उस सारे सैनिको बेहोश हो जाते हैं तभी वह अपने बालक को लेकर वह राजमहल से निकलकर यमुना के तट पर पहुंचते हैं यमुना पूरी भर्ती रहती है और बादल गरज रहे होते हैं और बारिश हो रही होती है वह अपने बालक को लेकर यमुना के नदी में जैसे ही पैर रखते हैं उसमें से यमुना देवी निकलकर उस बालक को को प्रणाम करती है और उन्हें जाने के लिए वह मार्ग दे देती है। वह अपने दोस्त नंद के यहां जाते हैं वहां नंद और उनकी पत्नी सोई रहती है, वह अपने बच्चे को वहां छोर उनकी पुत्री माया को ले आते हैं। जब बासुदेव माया को लेकर कारावास में प्रवेश कर जाते हैं तभी सब सैनिकों का मूर्छित अवस्था दूर हो जाता है और वह जाकर कंस से कहते हैं कि देवकी की आठवीं संतान हो चुकी हैं कंस अपने बहन के पास आता है और उनसे वह संतान को लेकर जैसे ही जमीन पर पटकने वाला रहता है तभी वह माया आकाश में उड़ जाती है और बोलती है मूर्ख कंस तेरा काल जन्म ले चुका और वह बहुत सुरक्षित जगह पर बढ़ रहा है और जब भी तुम्हारा समय पूरा हो जाएगा तब वह तुम्हारा वध कर देगा। यह कह कन्या आलोपित्त हो जाती है। कंस बड़ा ही भयभीत हो जाता है और वह बच्चे को ढूंढने के लिए सारे जगह पर आपना गुप्त चर भेज देता है उसे मालूम चलता है कि गोकुल में बासुदेव के दोस्त नंद यहां बच्चा जन्म लिया है।उसे मारने के लिए वह बूहत सारे असुर को भेजता है और सारे असूर परास्त होकर आ जाते हैं।
          नंद और यशोदा के यहां नटखट कृष्ण बड़े होते हैं।कंस के अत्याचार देखे नंद और यशोदा अपने बच्चे को सुरक्षित करने के लिए वृंदावन चले गए। वृंदावन में वह अपने गोपियों के साथ रास रचाते हैं और बहुत सारे औसुरी ताकत से वृंदावन बन बासीयो को बच्चाते रहते।वृंदावन में कालिया और धनुक का सामना करने के कारण दोनों भाइयों के ख्याति के चलते कंस समझ गया था कि भविष्यवाणी अनुसार इतने बलशाली किशोर तो वासुदेव और देवकी के पुत्र ही हो सकते हैं। तब कंस ने दोनों भाइयों का पहलवानी के लिए निमंत्रण दिया, क्योंकि कंस चाहता था कि इन्हें पहलवानों के हाथ मरवा दिया जाए, लेकिन दोनों भाइयों ने पहलवानों को शिरोमणि चाणूर और मुष्टिक मारकर कंस को पकड़ लिया और सबके देखते ही देखते उसे भी मार दिया और अपने माता-पिता और नाना जी को कारावास में मुक्त कर दीये। मथुरा वासी को कंस के अत्याचारों से मुक्त मिल गई । इसीलिए श्री कृष्ण के जन्म के दिन सारे लोग जन्माष्टमी मनाते हैं।
KRISHNA -JANMASHTAMI-2020
KRISHNA 
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बुधवार, 20 मई 2020

झांकी इम्तिहान की

                     आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं, 
                        झांकी इम्तिहान की।। 
                      आशा है कि पास करेंगे फिर, 
                          मर्जी भगवान की।।

                   अग्रेजी की आई परिक्षा जीस दिन, 
                             होने वाली थी।।
                     दिल सबों का धरक रहा था, 
                         उठ सबोकी काली थी॥
                      पेपर लीखा था नाम लिखकर, 
                         पवन पूत्र हनुमान की।।
                     
                       आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं, 
                        झांकी इम्तिहान की।। 
                      आशा है कि पास करेंगे फिर, 
                          मर्जी भगवान की।।
      
                 भूगोल इतिहास की तो बात मत पूछो 
                      इसका एरिया लाम्बा है॥
                  रेखा गणित के ये तो समझो
                     घर का बिचला खम्भा है ॥

                        आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं
                             झांकी इम्तिहान की।। 
                          आशा है कि पास करेंगे फिर
                              मर्जी भगवान की।।
           
                      
झांकी इम्तिहान की, student picture
Student pic

                  

मंगलवार, 19 मई 2020

MOTIVATIONAL STORY IN HINDI

MOTIVATIONAL STORY IN HINDI
Success story 
 MOTIVATIONAL STORY IN HINDI:-हम सब सफल होना चाहते हैं। परंतु जीन्दगी में सब सफल नहीं हो पाते कूछ ही सफल हो पाते हैं ।लेकिन सफलता भी अपनी कीमत मांगती है।आइये काहानी के माध्यम से जानते हैं सफलता कैसे प्राप्त कर सकते हैं:-
एक गांव में चीन्टू अपने दादा जी के साथ रहता था। दादाजी उसे रोज एक काहानी सूनाते थे।एकदिन चीन्टू अपने दादा जी से पूछा कि सफलता कैसे प्राप्त कर सकते हैं। दादाजी बोोले तूम्हे  आज इसी पर काहानी सूनाता हूूँ। एक बच्चा था वह बड़ा ही आलसी थाा। वह पाढाई में तेज नही था और कोई काम भी करता तो सफल नहीं होता इसलिए वह बूहत दुखी रेहता।उसके माता-पिता बड़ी ही परेशान रहते। उस बच्चे को दूर एक गुरुकुल में पढ़ने के लिए भर्ती कर दिए। वहा उससे सभी बच्चे पढने में तेज थे और उसे सभी चििढ़ाते थे।उसेे बूहत खाराब लगता इसलिये वह रोज सूचता की अपने घर वह कैैसे चला जाय। एकदिन वह छीपते-छोपाते गुरुकुल से भाग गया। वह चलते चलते बूहत दुर आ गया। उसे पानी प्यास लग चुकी थी थोड़ा और आगे बढा तो उसे एक कुआं दिखाई परी।
MOTIVATIONAL STORY IN HINDI, success story
MOTIVATIONAL STORY 
वही पर बाल्टी रखा था पर पानी निकाल कर पी नहीं रहा था।उसे लगता था कि कोई आयगा ओर उसे पानी नििकाल कर देगा, बूहत देर हो गयाा उसे कोई पानी निकााल कर नही देता। लोग आते ओर पानी पी कर चले जाते। अब उसेे बुहत जोर से पानी प्यास लग चोका थाा।इसलिए वह खुद पानीी निकाले के लिए गया ओर बाल्टी उठाया और पानी निकाल कर पानी पिय लिया। बाल्टी रखते समय उसने देखा कुआं पर निशान परे होये है। तभी उसने सोचा कि अगर एक कोमल रस्सी रोज घिसने से शील पर निशान छोड़ सकती है।तब तो मै इंसान हूँ मै अपने आप को किसी काम के प्रति जुनून पैदा कर लोो तब मै भी जरुर सफल हो जावगा।वह बच्चाा यह सोच अपने घर नही गुरूकुल लोट जाता है। वह वहां जाकर बूहत मेहनत करता है। जीससे उसका काफी ख्यााति और यश मिल जाता है।
  How to be motivate yourself( खुद को मोटिवेट कैसे करें) 
   (1)focus on time(समय का ध्यान रखे)
    (2)be honest (ईमानदार रहे)
     (3)passion (जुनून)
      (4)never stop learning (सीखना कभी भी बंद ना करें)
      (5)Take action (कारवाई करें)

  MOTIVATIONAL STORY IN HINDI
स्वामी विवेकानंद जी ने भी कहा है:-"उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्ति ना हो जाये"।

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शनिवार, 16 मई 2020

Horror hospital

एक समय की बात है, एक गांव में एक हस्पताल था। वहां एक डॉक्टर रहा करती थी। वह मरीजों को देख भाल कीया करती थी। गांववासी उन्हें डाक्टर दीदी कहा करते थे।
  एक मरीज को दवा देकर अपनी घर लोटने मे काफी देर हो चुकी थी, रास्ते सूनसान हो चूके थे, कुछ दूर एक पैर के नीचे से कीसी महिला की रोने का स्वर सूनाई दी, डॉक्टर दीदी उस और बढीं। डॉक्टर दीदी उस औरत के पास गई और पूछने ही वाली थी की औरत चूडेल बन गई पलक झपकते ही डॉक्टर दीदी के अन्दर समा गई। उन्हें कूछ समझ नहीं आया। डॉक्टर दीदी घर लौट गई। रात के जैसे ही दो बजे वह चूड़ेल बन गईं और और खून की प्यासी हो गई ओर अपने घर की बील्ली को हत्या कर उसकी खून पी गई। जब सूबह होआ तो ठीक हो गई। हर रात दो बजे वह चूड़ेल हो जाती और सूबह में ठीक हो जाती। इसलिए वह अपने आप को रात में जंजीर से बादं लिया करती क्योंकि वह किसी को नोकसान नही करना चाहती।
   एकदिन हस्पताल में मरीज ज्यादा होने के कारण उन्हें हस्पताल में रुकना पड़ा वह डर रही थी रात में किसी को हानि ना पहूंचा दे। इसलिए रात में अपने आपको एक रूम में बदं कर ली। रात के दो जैसे ही बजे वह चूड़ेल बन गई और दरवाजा ठूकने लगी। मरीज डर डर कर दरवाजा खोल दिये। डॉक्टर दीदी के रूप को देख कर अचम्भा हो गये और भागने लगे। सारे मरीज भाग कर एक रूम में बंद हो गए परन्तु एक मरीज बाहर ही रह गया। चूड़ेल वहां आई और बोली मै बहुत दिनों से भूखी हूँ मुझे यह डाक्टर दीदी जंजीरों से बादं देती, खाने को नही मिलता परन्तु आज बूहत खुश हूँ। आज खाने को इंसान मिले हैं, चूड़ेल उस आदमी के पास जैसे ही जाती उसके गले में परे ताबीज देख डर जाती है और उस से थोड़ा दूर जा खड़ी होती हैं। आदमी को कुछ समझ नहीं आता है तब उस आदमी का नजर अपने ताबीज पर जा परता है। आदमी को समझ आ गया चूड़ेल उसके ताबीज से डर रही है। आदमी ने उस ताबीज को नीकाल कर अपने हाथ में ले लिया, चूड़ेल के ओर बढ़ने लगा चूड़ेल बोल रही मेरे नजदीक मत आ। पर आदमी ने हिम्मत कर अपनी ताबीज को चूड़ेल के गले में डाल दिया। डॉक्टर दीदी के अदंर से चूड़ेल निकल कर भाग गई। डॉक्टर दीदी अच्छी हो गईं, उस आदमी को धन्यवाद की।
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Horror hospital 
फादर्स डे पर कहानी:-

शुक्रवार, 15 मई 2020

Funny whatsapp status 😝😜

जीन्दगी हमारी
पैसा हामारा
पाढाई हमारी
फ्यूचर हामारा
शादी हामारी 
और टेंशन सारा
   आंटीयो को
   😜🤔😂🤣

MORAL STORY 2020 IN HINDI

  • MORAL STORY 2020 IN HINDI
    King-Place 
    MORAL STORY 2020 IN HINDI:-एक समय की बात है, एक नगर में राजा चार रानियों के साथ रहते थे। वह अपनी तिन रानियों को बुहत प्यार करते थे, और एक से नहीं ।एक दिन राजा बूहत बिमार पर गये और मरने के अवस्था में थे और सोचने लगे कि में तो तीन रानियाँ से बूहत प्यार करता हु।वह जरूर मेरे साथ जाने के लिए त्यार हो जायगी।यह सूच वह अपनी तिन रानियों के पास गये
MORAL STORY 2020 IN HINDI
Queens pic
पहली रानी जिससे वह बूहत प्यार करते थे उसे बोले क्या तूम मेरे साथ स्वर्ग चलना चाहती हो? रानी बोली मै आपके साथ नही जाउंगी। उन्हे बहुत दुख हुआ, वह दुसरी रानी के पास गये और पूछेे क्या तुम मेरे साथ मरने के लिए त्यार हो। रानी बोली मै खूबसूरत हो और जवा हूँ । आपके जाने के बाद  मै दुसरा शादी कर लूगीं। वह भी त्यार नहीं होई। अब वह अपनी तीसरी रानी के पास गये जो हर दुुुख-सुख में साथ निभाती थींं, उन्हें लगता था वह जरूर त्यार हो जायगी परन्तु वह भी इन्कार कर दिया। राजा बूहत दुखी होकर बैठ गए तभी उन्हें एक आवााज सोनाई दीी मै आपके साथ जाने के लिए त्यार हूूँ ।
MORAL STORY 2020 IN HINDI
King & Queen 
वह बूहत आश्चर्यजनक दृष्टि से उनके ओर देखे! वह कोई ओर नही उनकी चतुर्थी पत्नी ही थी। राजा बोले जीनसे प्यार कीया वह साथ छोड़ दिया और जीसे अवहेलना कर रहा था वही साथ देने के लिए त्यार खड़ी है।राजा को अपनी गलती काा एहसास हुआ, रानी से माफी मांगी और बोले तूमसे ही प्यार करना बेहतर होता। 

  • *"इसी प्रकार मनुष्य के जीवन में चार पत्नी होती है। पहली आपना शरीर जीसे मनुष्य बूहत प्यार करता है पर मरने के बाद साथ छोड़ देताहै। दूसरी उसका पैसा जीसे कमाने के लिए  अपना सारा जीवन लगा देता है पर मरने के समय वह भी साथ छोड़ देती है। तीसरी उनके साखा-सम्बन्धी जो हर दुख - सुख में तो साथ देते हैं पर मरने पर साथ छोड़ देते हैं। सिर्फ एक ही चीज साथ नीभाती हे वह है उनका अच्छे कर्म उनकी चतुर्थी पत्नी। इसलिए कर्म करो वही साथ निभाती हैं।" I hope you like it MORAL STORY 2020 IN HINDI

गणेश चतुर्थी की कहानी:-
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फादर्स डे पर कहानी:-
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गुरुवार, 14 मई 2020

प्रेनात्मक कहानी :-धनुष से निकला हूआ तिर और मुह से निकला हूआ बानी कभी लोटता नहीं...

प्रेनात्मक कहानी :-धनुष से निकला हूआ तिर और मुह से निकला हूआ बानी कभी लोटता नहीं...
संत 

प्रेरणात्मक कहानी:-एक बार एक ठेकेदार ने अपने यहा काम करने वाले को भला बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया.उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछा.
संत ने ठेकेदार से कहा , ” तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो , और उन्हें शहर  के बीचो-बीच जाकर रख दो .” ठेकेदार ने ऐसा ही किया और फिर संत के पास पहुंच गया.
तब संत ने कहा , ” अब जाओ और उन पंखों को इकठ्ठा कर के वापस ले आओ”
ठेकेदार वापस गया पर तब  तक सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ चुके थे. और ठेकेदार खाली हाथ संत के पास पहुंचा. तब संत ने उससे कहा कि ठीक ऐसा ही तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है,तुम आसानी से इन्हें अपने मुख से निकाल तो सकते हो पर चाह कर भी वापस नहीं ले सकते.
प्रेनात्मक कहानी :-धनुष से निकला हूआ तिर और मुह से निकला हूआ बानी कभी लोटता नहीं.Moral story

बुधवार, 13 मई 2020

TEACHERS

  • Teachers are like our parents
    Give us knowledge without any rents.
    Forgive us whenever we commit any mistake,
    Show the right path to take. 
    Help us through it all, 
    Coming to save us wherever we fall.
    Whenever we face any difficulty 
    Stand by us to fall off tranquility 
    Hope you remember us in remaining days, 
    Touched our hearts in so many ways. 
    You are someone that we hold close to our heart, 
    We know that we will never be apart. 😊
    majedar story, news & jokes, teachers day
    Happy teachers day

The red angel is wrong(লাল দেবদূতের ভুল)

The red angel is wrong(লাল দেবদূতের ভুল), story in bengali
Bengali story
আজ, লাল দেবদূত তার উভয় ডানা ছড়িয়ে আকাশে উড়ছিল, তবে দু: খিত এবং কিছুটা রাগও হয়েছিল। পরী রানী আজ তাকে রাজবাড়ির বাইরে থাকার নির্দেশ দিয়েছেন। পরী মহলে আজ একটি বড় উদযাপন ছিল। পরীরা সুন্দর হয়ে উঠছিল, কিন্তু লাল দেবদূত দুঃখের সাথে বাইরে ঘুরে বেড়াচ্ছিল। প্রাসাদ থেকে একটি মৃদু সুর তাঁর কাছে পৌঁছেছিল যা তাকে প্রাসাদের দিকে টানছিল।
দীর্ঘ নিঃশ্বাস নিয়ে দীর্ঘ যাত্রা শুরু করে আকাশ পেরিয়ে পৃথিবীতে নেমে এলো। তিনি এমন একটি বাগানে পৌঁছেছিলেন যেখানে অনেক শিশু খেলছিল। তিনি লুকিয়ে থাকাকালীন খেলা দেখতে শুরু করেছিলেন। সমস্ত বাচ্চাদের হত্যাকারীদের মধ্যে তিনি তার দুঃখ ভুলে গিয়ে তাদের দেখতে শুরু করলেন। ঠিক তখনই এক মেয়ে সোনির উজ্জ্বল লাল ডানাগুলির দিকে তাকাচ্ছে। সনি বুঝতে পেরেছিল যে এটি একটি সুন্দর ফুল, তিনি যখন দেখলেন, সামনে লাল দেবদূতকে দেখে তিনি হতবাক হয়ে গেলেন। সে সুখে চিৎকার করল। সমস্ত বাচ্চা সোনির চিৎকার শুনে তাঁর কাছে এসেছিল। লাল জামা, লাল পালক, উজ্জ্বল লাল মুকুট এবং সুন্দর মুখ দেখে অবাক হয়ে গেল লাল দেবদূত। এখন রেড অ্যাঞ্জেলকেও তার সাথে নিজেকে পরিচয় করিয়ে দিতে হয়েছিল। দেখা যাচ্ছে যে তিনি একটি লাল দেবদূত, তারা আনন্দে লাফাতে শুরু করল। তিনি ঠাকুমার কাছ থেকে লাল দেবদূত সম্পর্কে শুনেছিলেন যে তিনি সবার ইচ্ছা পূরণ করেন। প্রত্যেকে তাদের ইচ্ছাকে বলতে শুরু করলেন telling লাল পরী যাদুবিদ্যার ঘোরাঘুরি করল, তখন চিন্তু হাঁটল। তিনি সবেমাত্র অবতরণ করেছিলেন যে লাল দেবদূতের ছড়ি আবার ঘোরে, এই সময় একটি রসালো আম সোনির ডকের মধ্যে পড়ে গেল। এবার লাঠিটি ঘুরিয়েই বাগানের সমস্ত ফুল আলোকিত হয়ে গেল। সেই যাদুকরী জগতে বাচ্চারা যেন তাদের বাড়ি এবং লাল পরী মহল উদযাপন এবং তাদের শোকে ভুলে গেছে।
ফুলের আলো কমে যাওয়ার সাথে সাথে তারকারাও জ্বলতে লাগল। বাচ্চারা আকাশের উজ্জ্বল নক্ষত্রগুলি দেখামাত্রই ঘুম থেকে জেগে ওঠে। লাল পরীকে বিদায় জানিয়ে বাড়ি ফিরতে ঘুরে দাঁড়ালেন। রেড অ্যাঞ্জেল হতাশ হয়ে পড়েছিল। রেড অ্যাঞ্জেলের দুঃখ সোনির কাছ থেকে গোপন ছিল না, তিনি তাকে দুঃখের কারণ জিজ্ঞাসা করলেন। লাল পরী রানি পরীর গল্পটি বর্ণনা করলেন। সনি বলল, "তুমি নিশ্চয়ই কিছু দুষ্টুমি করেছ। আমি দুষ্টুমি করলে মা আমাকে শাস্তি দেয়।" লাল পরী স্পষ্ট করে বললেন, "আমি কোনও দুষ্টুমি করিনি।" সনি মৃদু হেসে বললেন, "কিছু!" লাল পরী লাঠি দিয়ে চোখ নীচু করে বললেন, "হ্যাঁ! তিনি নুতু বামন পরী মহলের সর্বোচ্চ নজর রাখছিলেন। আমি সিঁড়িটি নীচ থেকে ধরলাম এবং কাঁপতে শুরু করলাম, তারপরে সে ঘড়ির সুইটি ধরে এবং এমনভাবে ঝুলিয়ে দিল যাতে সুইটি ভেঙে যায়। ঘড়ি থামার সাথে সাথে সময় থেমে গেল। পরী লোকে সব থামল। রানী পরীকে যাদু দিয়ে সবকিছু ঠিকঠাক করতে হয়েছিল তাই সে আমার উপর রেগে গেল। নতু বামনও ভুল করেছে, তখন তাকেও রাজবাড়ীর বাইরে পাঠানো উচিত ছিল। "সোনি বলেছিলেন," আমার মা বলেছেন যে একটি অজান্তেই ভুল ক্ষমা করা যেতে পারে, তবে আমরা যে ভুলটি ইচ্ছাকৃতভাবে করেছি তা শাস্তির দাবিদার। আপনি বলুন অজান্তে ভুলটি কে করেছে এবং ইচ্ছাকৃতভাবে কে? "লাল দেবদূত মৃদুস্বরে বললেন," আমি ইচ্ছাকৃতই ভুল করেছিলাম, নুতু বামন পালানোর জন্য সুইটি ধরেছিল। আমি যদি রানী পরীর কাছে ক্ষমা প্রার্থনা করি তবে সে আমাকে ক্ষমা করবে "" সনি তখন বলেছিলেন, " মা আমাকে জানিয়েছেন যে আন্তরিক হৃদয় দিয়ে যে কোনও কাজ সফল হয়। লাল পরী সোনিকে ছড়ি মুচড়ে নিয়ে এলো এবং চোখের পলকে তার বাড়িতে নিয়ে গেল এবং তার মাকে ধন্যবাদ জানাতে বলল। আজ তার পাঠের কারণেই তিনি পরী বিশ্বের সেরা পরী হওয়ার সিদ্ধান্ত নিয়েছিলেন। তিনি তার ডানাগুলি ছড়িয়ে দিয়েছিলেন এবং পরী রানীর কাছে ক্ষমা চেয়ে মেঘকে অতিক্রম করেছিলেন এবং পরী বিশ্বের দিকে যাত্রা করেছিলেন।

                                    

Test your ability (परखें अपनी योग्यता)

उन दिनों प्रख्यात कलाकार मोहन सिंह की पूरे हिन्दुस्तान में चर्चा थी। उनकी लोकप्रियता देखकर एक चित्रकार उनसे बड़ी ईर्ष्या करता था। वह सोचता था कि लोग उसकी प्रशंसा क्यों नहीं करते? क्यों न वह एक ऐसा चित्र बनाए जिसे देखकर लोग मोहन सिंह को भूल जाएं।

यह सोचकर उस चित्रकार ने एक स्त्री का चित्र बनाना शुरू किया। जब चित्र पूरा हो गया तो उसकी सुंदरता का परीक्षण करने के लिए वह उसे दूर से देखने लगा। उसमें उसे कुछ कमी लगी लेकिन कमी क्या थी यह समझ में नहीं आया। संयोग से उसी समय मोहन सिंह उस तरफ से जा रहे थे। उनकी नजर चित्र पर पड़ी। उन्हें वह चित्र बहुत सुंदर लगा लेकिन उन्हें उसकी कमी भी समझ आ गई।

उन्होंने चित्रकार से कहा, ‘‘तुम्हारा चित्र तो बहुत सुंदर है पर इसमें जो कमी रह गई है वह कुछ खटक रही है।’’

चित्रकार ने मोहन सिंह को कभी देखा नहीं था। उसने सोचा कि यह कोई कला प्रेमी होगा। उसने कहा, ‘‘कमी तो मुझे भी लग रही है।’’ 

मोहन ने कहा, ‘‘क्या आप अपनी कूची देंगे? मैं कोशिश करता हूं।’’ 

कूची मिलते ही मोहन ने चित्र में बनी दोनों आंखों में काली बिंदियां बना दीं। बिंदियों के लगते ही चित्र सजीव हो उठा।

चित्रकार ने मोहन से कहा, ‘‘धन्य हैं! तुमने ‘सोने पे सुहागा’ का काम कर दिया। मेरे चित्र की सुंदरता बढ़ाने वाले तुम हो कौन?’’ 

मोहन ने कहा, ‘‘मेरा नाम मोहन सिंह है।’’ चित्रकार के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। 

वह बोला, ‘‘क्षमा करें। आपकी उन्नति देखकर में जलता था। आपको हराने के लिए ही मैंने यह चित्र बनाया था लेकिन आपकी कला-प्रवीणता और सज्जनता देखकर में शर्मिंदा हूं।’’ मोहन सिंह ने उसे गले लगा लिया।
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Moral story
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